Thursday, November 22, 2007

जागे देव, नाचे राउत


बिलासपुर.लंबे बाल, चेहरे पर पुता पावडर, होठों पर लिपिस्टिक, माथे पर बिंदिया और काला चश्मा, यह वेशभूषा सुनकर आमतौर किसी सुंदर महिला की शक्ल उभर आती है, लेकिन दूसरों का मनोरंजन और पैसे कमाने की चाहत में यह शक्ल इन दिनों युवकों ने अख्तियार कर रखी है। एक पखवाड़े तक राउत नाच की धूम मचाने के लिए बुधवार को शहर में नर्तकियों (परियों) और बजगरियों का मेला लगा। शनिचरी में बजगरियों से मोल-भाव करने के लिए रूठने-मनाने का दौर पूरे दिन चला।

देवउठनी एकादशी के बाद आज से शहर व ग्रामीण क्षेत्रों में राउत नाच की धूम मचेगी। राउत नर्तक दलों द्वारा बजगरियों से मोल-भाव मंगलवार से ही शुरू हो गया था। आज शनिचरी बाजार में छत्तीसगढ़ व अन्य प्रांत के के बजगरी बड़े पैमाने पर पहुंचे, जो 15 दिनों तक राउत नर्तक दलों के साथ घूमेंगे। घरों-घर जाकर नर्तक दल आशीष देंगे, इसके एवज में उन्हें बख्शीश मिलेगी।

शनिचरी चौक और आसपास पूरे दिन बजगरियों व नर्तकियों का मेला लगा रहा। युवक नर्तकी बनने के लिए सड़क किनारे व आसपास के घरों के चबूतरों में क्रीम-पावडर लगाकर सजते-संवरने में जुटे रहे। इधर उनके मुखिया भाव तय करने में लगे थे।

यही नहीं, सजने के बाद उन्हें सौदागरों को नाचकर भी दिखाना पड़ा। बाजार में दिनभर राउत बाजे की गूंज सुनाई देती रही और नर्तकियां अपनी नाच दिखाते रहीं। एरिया और दूरी के हिसाब से नर्तकियों व बजगरियों से मोल-भाव किया गया। यहां 15 दिनों के लिए 10 से 25 हजार रुपए तक बाजा वाले तय किए गए।

अब ये रावत नर्तकों के साथ शहर व ग्रामीण अंचलों में घूमेंगे। इस बीच लालबहादुर शास्त्री स्कूल मैदान में रावत नाच महोत्सव होगा, जिसमें जिले भर से नर्तक दल नृत्य के अलावा अपनी शौर्य और सौंदर्य कला का प्रदर्शन करेंगे। महोत्सव की तैयारियां जोर-शोर से की जा रही हैं। इसके लिए उन्हें आकर्षक पुरस्कार भी दिए जाएंगे।

उड़ीसा से भी आए बजगरी
शनिचरी में बजगरियों के तकरीबन डेढ़ से दो सौ दल थे, जिनमें से हर दल में छह से आठ सदस्य थे। कुछ दल जिले-संभाग के अलावा उड़ीसा के शहरों से भी पहुंचे थे। सराईपाली, बसना, सारंगढ़, रायगढ़ के साथ-साथ इस क्षेत्र के पामगढ़, शिवरीनारायण, सीपत, मुंगेली, लोरमी व अन्य जगहों से नर्तक दल रावत नाचा के सीजन में रोटी-रोटी की आस लिए पहुंचे थे।

जश्न की शुरुआत यहीं से
अब जब मोल-भाव तय हो ही गया है, तो जश्न की शुरुआत भी यहीं से हो जानी चाहिए। शायद यही सोचकर नर्तकियों व नर्तक दलों के मुखिया सड़क किनारे ही शराब लेकर बैठ गए। नाच-गाने के साथ यह सिलसिला भी पखवाड़े भर तक चलेगा। गांव हो या शहर, दिनभर नाचने के बाद थकान मिटाने और गपियाने के लिए हर रात उनकी अपनी अनोखी महफिल जमेगी।

20 हजार में खाना भी दो!
मोल-भाव के दौरान बजगरियों और सौदागरों के बीच बातें सुनने में अजीब लगती थीं। 10 से 25 हजार रुपए तक के भाव अलग-अलग स्थितियों पर तय किए जा रहे थे। एक जगह बजगरियों का कहना था कि यदि वे 20 हजार लेंगे तो उन्हें पूरे 15 दिनों तक दोनों समय खाना भी देना पड़ेगा। लेकिन सौदागर यह मानने के लिए तैयार नहीं थे। आखिरकार उनका भाव 30 हजार रुपए में तय हुआ जिसमें 10 हजार रुपए खाने के लिए थे। अमूमन यही स्थिति सभी दलों के साथ बनी। चिट्ठाजगत अधिकृत कड़ी

2 comments:

RAJNI said...

keep it up.....!

राजेश अग्रवाल said...

बेहतर गेटअप और डिजाइन के साथ आपने मेरे लेख की महत्ता बढ़ा दी डै.
आगे मोह है www.cgreports.blogspot.com भी कहीं पर आ जाए.
सादर.
राजेश